Monday, February 2, 2015

जिस दिन से तुम रूठी हो ....


उस की खट्ठाई आँखों में है, जंतर मंतर, सब.
चाकू वाकू, छुर्रियाँ वुर्रियाँ, खंजर वंजर, सब !

जिस दिन से तुम रूठे हो, मुझसे रूठे-रूठे हैं.रूठी 
चद्दर वद्दर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर, सब !

मुझ से बिछड़ कर अब वो भी कहाँ पहले जैसी है.
फीके पड़ गये, कपड़े वपड़े, जेवर वेवर, सब !

आखिर मैं किस दिन डूबूंगा फिकर करते हैं.
दरिया वरीया, कश्ती वश्ती, लंगर वंगर, सब !

Thursday, January 22, 2015

" लूट गए हैं हम तो वफायें निभाने में....

टीस बाकि है शायद दिल के किसी खाने में , अभी तकलीफ बहुत होती है मुस्कुराने में.. !

वक्त के साथ सबके चेहरे बदल जाते हैं , डर सा लगता है अब तो दोस्त भी बनाने में.. !
जो न ढाला खुद को वक्त के टकसाल में , चला है ऐसा सिक्का कब इस ज़माने में.. !
शमा दिया था खुदा ने रौशनी लुटाने को , लगा दिया है उसे नशेमन जलाने में.. !
शहर के तौर-तरीके हमने सीखा न , लूट गए हैं हम तो वफायें निभाने में.. !!

Wednesday, January 21, 2015

वो जो निकला था वफ़ा की तलाश में ......

वो जो निकला था
वफ़ा की तलाश में
कल रात,
लौट के घर नही आया,
कहने को तो
सब इंसान है यहाँ
दिल भी है सीने में
वो भी जिंदा,
मगर फिर वो जो
तलाशने गया था
लौट के क्यों नहीं आया ||

Sunday, January 18, 2015

'' जो तू कहे तो ........



आज फिर कुछ मोहब्बत के नाम लिख दूँ मैं, जो तू मिल जाए तो फिर एक मुकाम लिख दूँ मैं 
यूँ कहने को तो क्या रखा है इन बेरंग लफ़्ज़ों में, मगर जो तू कहे तो, इनसे भी एक अंजाम लिख दूँ मैं ….!!

यूँ तो कहने को हर एक लम्हा मुसीबत है, जो तेरी राह जोतूं मैं तो हर एक सपना फज़ीहत है,
ना अपनी सी दिखाई देती हैं अब मुझे तेरी बातें, मगर जो तू कहे तो, तेरे हर झूठ में सम्मान लिख दूँ मैं ….!!

लुटाता हूँ जो गर आंसू, तो यारी मुस्कुराती है, ना बिखरें ये जो मोती तो, रूह फिर तिलमिलाती है,
ये कैसी बेवफ़ा सी हैं, तेरी फिरती निगाहें आज, मगर जो तू कहे तो, इनको भी ईमान लिख दूँ मैं ….!!

कभी जो दिल करे तो, लौटना इस वीरान बस्ती में, मेरी काया नहीं तो रूह से मिलना, इन्हीं लफ़्ज़ों की कश्ती में,
यूँ कहने को तो क्या रखा है इन बेरंग लफ़्ज़ों में, मगर जो तू कहे तो, इनसे भी एक अंजाम लिख दूँ मैं …. !!

Thursday, January 15, 2015

"अब कहाँ मिलते हैं ''दोस्त'' वफा निभाने वाले "


अब कहाँ मिलते हैं "दोस्त" वफा निभाने वाले,
सब ने सीखें हैं "अन्दाज" जमाने वाले !

दिल जलाओ या "दीये" आंखों की दहलीज पर,
"वक्त" से पहले तो आते नहीं आने वाले !

 अश्क बन कर मैं तेरी "निगाहों" में आउंगा,
ऐ मुझे अपनी "निगाहों" से गिराने वाले !

 वक्त बदलता है तो "अंगुली" उठाते हो मुझ पर,
कल तलक हक में थे मेरे "हाथ" उठाने वाले !

 वक्त हर जख्म का "मरहम" तो नहीं बन सकता ना "दोस्त"
 दर्द कुछ होते हैं "उम्र" भर रुलाने वाले !!

दो लफ्ज दर्द शायरियाँ ......

1 * किसी के एक आँसू पे हज़ारों दिल
      तड़पते हैं.. !

      और किसी के उम्र भर का रोना यूं ही बेकार
     चला जाता है !!
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2 * अब कोई खास फर्क नहीं पड़ता ख्वाहिशें
      अधूरी रहने पर…..!

      क्योंकी हमने बहुत करीब से देखा है अपने अजीज सपनों को टूटते हुए !!
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3 * दिल में खोट जुबाँ से प्यार करते हैं.. !

     बहुत से लोग दुनिया में बस यही प्यार करते हैं !!

ये दो lines उन पाठकों को समर्पित जो दिल के सच्चे हैं लेकिन हमेशा निराशा ही मिली " *** क्यों तू अपने आप से नाराज रहता है सदा खूबियाँ जो तुझ में है वो औरों में ना मिल पायेगी !!