आज फिर कुछ मोहब्बत के नाम लिख दूँ मैं,
जो तू मिल जाए तो फिर एक मुकाम लिख दूँ मैं ,
यूँ कहने को तो क्या रखा है इन बेरंग लफ़्ज़ों में,
मगर जो तू कहे तो, इनसे भी एक अंजाम लिख दूँ मैं ….!!
यूँ तो कहने को हर एक लम्हा मुसीबत है,
जो तेरी राह जोतूं मैं तो हर एक सपना फज़ीहत है,
ना अपनी सी दिखाई देती हैं अब मुझे तेरी बातें,
मगर जो तू कहे तो, तेरे हर झूठ में सम्मान लिख दूँ मैं ….!!
लुटाता हूँ जो गर आंसू, तो यारी मुस्कुराती है,
ना बिखरें ये जो मोती तो, रूह फिर तिलमिलाती है,
ये कैसी बेवफ़ा सी हैं, तेरी फिरती निगाहें आज,
मगर जो तू कहे तो, इनको भी ईमान लिख दूँ मैं ….!!
कभी जो दिल करे तो, लौटना इस वीरान बस्ती में,
मेरी काया नहीं तो रूह से मिलना, इन्हीं लफ़्ज़ों की कश्ती में,
यूँ कहने को तो क्या रखा है इन बेरंग लफ़्ज़ों में,
मगर जो तू कहे तो, इनसे भी एक अंजाम लिख दूँ मैं …. !!