उस की खट्ठाई आँखों में है, जंतर मंतर, सब.
चाकू वाकू, छुर्रियाँ वुर्रियाँ, खंजर वंजर, सब !
जिस दिन से तुम रूठे हो, मुझसे रूठे-रूठे हैं.रूठी
चद्दर वद्दर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर, सब !
मुझ से बिछड़ कर अब वो भी कहाँ पहले जैसी है.
फीके पड़ गये, कपड़े वपड़े, जेवर वेवर, सब !
आखिर मैं किस दिन डूबूंगा फिकर करते हैं.
दरिया वरीया, कश्ती वश्ती, लंगर वंगर, सब !